हमारा साथ
खिलखिलाते हुए उन लम्हों मे कैद
आज भी गुनगुना लेते हैं यादों को सहेज
पलकों पर कई रंग की खुशी, दमक सी आई थी,
तेरे लफ्ज़ों मे उल्झी उन नोक झोक मे आज भी ज़िदगी हे सिमट आई
क्यों एक ही ख्वाब मे फिर सारी इमारतें थी बिखर आई
प्यार के महल पे चढा हर रंग क्यों थी पल भर मे उतर आई
ख्वाईशें समेटे, दिल अंजानी गलियों मे गया छूट
सुहाने ख्वाब घुट्नों पे, गये कुछ हम थे अन्दर से टुट
खुशियों को कर दफन, कर गई हमे जु्दा ज़िदगी का सितम
छिनेगी हमसे यादों का सफर, रेह जायेगा बस ये उसका वेहम
आहिसता इन आन्सुओं को होस्लो से पिरो, देंगे मात,
गुमसुम सी तनहाई मे भी रेह जायेगा हमारा ये साथ
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